इंतजार की घड़ियां हुईं समाप्त, आज से नवरात्रि प्रारंभ, जानें कलश स्थापना मुहूर्त बलवाड़ा से आनंद श्रीवास की रिपोर्टबलवाड़ा – अब इंतजार की घड़ियां समाप्त हो गई हैं। शनिवार मतलब आज से नवरात्रि शुरू हो रही है। 16 अक्टूबर तक मलमास था और 17 अक्टूबर से घटस्थापना के साथ देवी के 9 दिनों की नवरात्रि यानी दुर्गा पूजा का शुभारंभ हो जाएगा। हर साल नवरात्रि के साथ एक नए जोश का आगाज माना जाता है क्योंकि उसके बाद से एक के बाद एक त्योहारों का अम्बार लग जाता है। हालांकि इस बार कोरोना का प्रभाव जो हिन्दुस्तान में होली के मौके से दिखना शुरू हुआ था, अब दिवाली तक कामय है, इसीलिए सभी गाइडलाइन्स का पालन करते हुए नवरात्रि मनाएं।कब से शुरू होगी नवरात्रि, जानें तिथियां17 अक्टूबर 2020 (शनिवार)- प्रतिपदा घटस्थापना18 अक्टूबर 2020 (रविवार)- द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा19 अक्टूबर 2020 (सोमवार)- तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार)- चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा21 अक्टूबर 2020 (बुधवार)- पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार)- षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार)- सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा24 अक्टूबर 2020 (शनिवार)- अष्टमी माँ महागौरी, दुर्गा महा नवमी, पूजा दुर्गा, महा अष्टमी पूजा25 अक्टूबर 2020 (रविवार)- नवमी मां सिद्धिदात्री, नवरात्रि पारणा, विजयादशमी26 अक्टूबर 2020 (सोमवार)- दुर्गा विसर्जनमां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगीशनिवार के दिन नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण इस दिन मां दुर्गा घोड़े की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आएंगी। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि शुरू हो जाती है। साथ ही विभिन्न पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर मां शक्ति की आराधना की जाती है। नवरात्रि पर मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व होता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का आगमन भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में भी देखा जाता है। हर वर्ष नवरात्रि में देवी दुर्गा का आगमन अलग-अलग वाहनों में सवार होकर आती हैं और उसका अलग-अलग महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है। शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।आरंभ हो जाएंगे शुभ कार्यनवरात्रि का पर्व आरंभ होते ही शुभ कार्यों की भी शुरूआत हो जाएगी। मलमास में शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है। मलमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, लेकिन नवरात्रि आरंभ होते ही नई वस्तुओं की खरीद, मुंडन कार्य, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। शादी-विवाह देवउठनी एकादशी तिथि के बाद ही आरंभ होंगे। नवरात्रि में देरी के कारण इस बार दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी।घटस्थापना का शुभ मुहूर्तमैय्यापुर धाम के पुजारी पं. विपिन द्विवेदी ने बताया कि नवरात्रि का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से है। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: 6 बजकर 23 मिनट से प्रात: 10 बजकर 12 मिनट तक है।

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